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मोहब्बत उग आई थी हमारे बीच / मिगुएल हेरनान्देज़ / अनिल जनविजय
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20:53, 4 नवम्बर 2022
<poem>
मौहब्बत उग आई थी हमारे बीच वैसे ही
जैसे उग आता है चान्द
ताड़ के दो पेड़ों के बीच
उग आता है जैसे चान्द
जो
कभी
एक-दूसरे से
गले नहीं
मिले।
मिलते जो अपनी सीमाएँ फान्द।
दो कायाओं के बीच अन्तरंग संवाद हुआ था
अनिल जनविजय
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