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<poem>
मौहब्बत उग आई थी हमारे बीच वैसे ही
जैसे उग आता है चान्द ताड़ के दो पेड़ों के बीचउग आता है जैसे चान्द जो कभी एक-दूसरे से गले नहीं मिले।मिलते जो अपनी सीमाएँ फान्द।
दो कायाओं के बीच अन्तरंग संवाद हुआ था
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