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10:56, 5 नवम्बर 2022 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=मल्सोमि जैकब
|अनुवादक=यादवेन्द्र
|संग्रह=
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<poem>
इस दर्द की, इस मायूसी की
कैसे बनाई जा सकती है छवि ?
कैसे उकेर सकती हूँ छवियाँ
चूक गए मौक़ों की
और जिनका होना बिल्कुल संभव था, उनकी ?
पछतावा ऐसा, जिसमें दिलासा हो ही न
या जिसके लिए दूसरा चांस मिलना ही नहीं
उसके चित्र कोई कैसे बना सकता है ?
क्या शून्यता की
सन्नाटे की भी
कोई छवि बनाई जा सकती है ?
—
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : यादवेन्द्र'''
</poem>