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शब्द / रसूल हम्ज़ातव / सुरेश सलिल
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02:24, 11 नवम्बर 2022
<poem>
टोह में नहीं रहता मैं किसी शब्द की
कि वह आए और लिख
-
लिख जाए
मर्ज़ी जब होगी तब आएगा
—
कोई भी रोक नहीं पाएगा
—
अदबदा कर
आंसू
आँसू
ज्यूँ आँख से छलक आए ।
यक्-ब-यक् आ उतरेगा वर्क़े पर
अनिल जनविजय
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