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तुम न आए तो क्या सहर न हुई / ग़ालिब
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<
Poem
poem
>तुम न आए तो क्या सहर
<ref>प्रात:</ref>
न हुईहाँ मगर चैन से बसर
<ref>गुज़रना</ref>
न हुईमेरा नाला
<ref>रोना-धोना, शिकवा </ref>
सुना ज़माने ने
एक तुम हो जिसे ख़बर न हुई
</poem>
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Sharda suman
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