620 bytes added,
03:50, 1 फ़रवरी 2023 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शील
|अनुवादक=
|संग्रह=लाल पंखों वाली चिड़िया / शील
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
प्रेतों से घिरी-घिरी —
यह दुनिया ।
अपराधों की बाढ़ में,
कब से ...
किस-किस का बोझ,
किस-किस का पश्चात्ताप —
ढो रही है ।
प्रेतों से घिरी-घिरी —
यह दुनिया ।
—
31 दिसम्बर 1987
</poem>