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<poem>
तुम्हारा ख़याल-
माँ की उँगली थामे
मेले में घूमते
मौसम- सा है
जिसका
कोई एतबार ऐतबार नहीं
कब बदल जाए
कौन- सी चाल चल जाए
कहीं घर से
निकलने नहीं दूँ
जो सदाबहार रहे
और
मैं महकूँ
पूरे हों
दिल के अरमान
रहे- रहे
पल- पल जिसके संग चलूँ
आँधी - तूफान मेंहाथ में हाथ लेकर शहर की सड़कमुहल्ले की गलीया घर के दालान में
तुम्हारे ख़याल की