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स्वागत /सादी युसुफ़

No change in size, 10:54, 13 नवम्बर 2008
मोगादीशू उछालता है भेड़ का गोश्त शार्क मछलियों की तरफ़।<br /> मेरा कोई गन्तव्य नहीं है।<br /> मेरे पास एक बिल्ली है जिसने कुछ दिनों से मुझे मेरे जीवन की दास्तान बतानी शुरू की है।<br /> लगातार दूर जाती अमरता तुमने भी क्यों दगा किया मेरे साथ?<br /> इस दोपहर मैं सीखूंगा फूलों की पशुता की चुस्कियां लेना।<br /> दगा का स्वाद कैसा होता है? <br />एक बार मैं घूमा किया अपने गति के साथ।<br /> सैनिकों की रेलगाड़ियां चलती जाती हैं ... चलती जा रही हैं।<br /> चलती जाती हैं। चलती जा रही हैं।<br /> चलती जाती हैं। मास्को की बर्फ मेरे आंसुओं को गरमाती है।<br /> ठहरते और फिर सफर पर निकलते चरवाहों में नहीं कोई गुण... <br />अपनी उंगली के एक इशारे से शहर मिटा देते हैं गांवों को।<br /> मोटे चावल के आटे से बनी है मेरी रोटी और राख है मेरी मछली पर नमक।<br /><br /> लड़कियों की डोरमैट्री में आज रात उसका प्रेमी हो पाने की कोई संभावना नहीं मेरे वास्ते। <br />नहीं ... <br /> शनिवार को वह अपना दरवाजा मेरे लिए बंद कर देती है।<br /> मैं जला दूंगा सारे काग़जों को। पुलिसवाला आ सकता है।<br /> रात की रेलगाड़ी में बेड़ियों में भी मेरी आंख लग गई।<br /> लकड़ी की सीट मेरा वह जहाज थी जो दुर्घटना का शिकार हुआ।<br /> बंदरगाह के शराबखाने वाली लड़की वो तुम्हारा नाम जप रह हैं।<br /> लौट आए हैं हीरों की खोज में निकले अजनबी।<br /> हैज़ा के पत्थरों पर आराम कर रहे हैं हमैर के बाज़।<br /> एक दफ़ा मैंने करीब करीब पा लिया था शिशु चंद्रमा को अपनी हथेलियों में।<br /> लोगों को क्यों छोड़कर जाना पड़ा पार्क?<br /> मुझे नहीं चाहिए तुम्हारा हाथ। मत फेंको धज्जियों से बनी अपनी रस्सी मेरी तरफ़।<br /> आज मैंने खोज ली है एक और मूसलधार बारिश।<br /> स्वागत है जीवन में... स्वागत मेरी दूसरी वाली प्रेयसी।<br><br>
अम्मान<br>
रचनाकाल : 23 मार्च 1997
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