गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
अगणित तलवारों पर अकेला ही भारी हूँ / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
No change in size
,
11:43, 12 मार्च 2023
मेरे संकेतों पर युग रूकते-चलते हैं
मानवता की रक्षा-हित निर्मित दुर्गों का
मैं भी
इस
इक
छोटा-सा कर्मठ प्रतिहारी हूँ
अगणित तलवारों पर...
वीरेन्द्र खरे अकेला
265
edits