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{{KKRachna
|रचनाकार=प्रमोद शर्मा 'असर'
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<poem>
अक़्ल आ जाएगी ठिकाने पर ।
वो जो उतरेगा आज़माने पर ।।

वो ही मेरा ख़याल रखता है,
सारी दुनिया के भूल जाने पर ।

हस्ती शाहों की मिट ही जाती है,
इक फ़क़त उसके रूठ जाने पर ।

डूबी कश्ती भी आ लगे साहिल,
वो उतर आए जो बचाने पर ।

तू चला आएगा सदा पे मेरी,
मैं फ़िदा तेरे इस बहाने पर ।

मैंने आवाज़ दी, मैं रोया भी,
तू न आया मेरे बुलाने पर ।

राह मुद्दत से तक रहा है 'असर'
अब तो आ जा ग़रीबख़ाने पर ।
</poem>