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सबके अपने अपने दुःख हैं / प्रताप नारायण सिंह
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06:36, 7 अप्रैल 2023
भूल भुलैया बन जाती हैं सीधी समतल सी राहें
आसान नहीं
होता
चंचल
धारा में अचल खड़े होना है
सबके अपने अपने दुःख हैं, सबका अपना रोना है
Pratap Narayan Singh
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