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/* अय्यप्प पणिक्कर नहीं रहे */
==अय्यप्प पणिक्कर नहीं रहे==
[[चित्र:Ayappa_panikar.jpg|left|thumb|127px|अय्यप्प पणिक्कर [1930-2006]]]
मलयालम के सुप्रसिद्ध कवि, समीक्षक और दार्शनिक डा अय्यप्प पणिक्कर का २३ अगस्त 2006 को त्रिवेंद्रम में निधन हो गया। वे मलयालम कविता में आधुनिक चेतना के प्रवर्तक माने जाते हैं। उन्होंने अपनी उपस्थिति और रचनात्मक प्रतिभा से केवल साहित्य ही नहीं बल्कि केरल के समस्त बुद्धिजीवी समाज को प्रभावित किया।
१२ सितंबर १९३० को कावालम के एक गाँव में जन्मे इस महाकवि की कविताएं 'अय्यप्प पणिक्करुडे कृतिकल‍' शीर्षक से चार भागों में तथा निबंध 'अय्यप्प पणिक्करुडे लेखनङ्ल्' शीर्षक से पांच भागों में संग्रहित हैं।
उन्होंने अमेरिका के इंडियाना विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी साहित्य में डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने के बाद येल व हार्वर्ड विश्वविद्यालयों में उच्चतर शोध कार्य किया। १९६५ में वे केरल विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी के प्राध्यापक नियुक्त हुए तथा विभागाध्यक्ष बन कर सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने अनेक ग्रंथों का कुशल संपादन किया, जिनमें शेक्सपियर के संपूर्ण साहित्य का मलयालम अनुवाद और समस्त मध्ययुगीन भारतीय साहित्य का अंग्रेज़ी अनुवाद अत्यंत महत्वपूर्ण समझे जाते हैं। वे अपने जीवनकाल में अनेक साहित्यिक, शैक्षिक और संस्कृतिक सांस्कृतिक संस्थाओं के पदाधिकारी व अनेक महत्वपूर्ण प्रकाशनों के संपादक भी रहे। इन विशिष्ट साहित्यिक सेवाओं के लिए उन्हें देश विदेश के अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें एक से अधिक साहित्य अकादमी पुरस्कार, भारत सरकार का पद्मश्री [२००४], तथा सरस्वती सम्मान [2006] प्रमुख हैं।
==राजेश चेतन काव्य पुरस्कार==