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{{KKRachna
|रचनाकार=आदम ज़गायेवस्की
|अनुवादक=उदयप्रकाश
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<poem>
हमें पता हैं कि हमें तुम्हारा नाम लेने की इजाज़त नहीं हैं
हम जानते हैं कि तुम्हें व्यक्त नहीं किया जा सकता
थके हुए, जर्जर और संदिग्ध
बच्चे के किसी रहस्यपूर्ण अपराध की तरह

हम जानते हैं कि तुम्हें अब ज़िन्दा रहने की इजाज़त नहीं है
सूर्यास्त के भी समय संगीत में या पेड़ों में

हमे पता है, या कम से कम हमें ऐसा बताया गया है
कि अब तुम्हारा अस्तित्व नहीं है, कहीं भी, किसी भी जगह

लेकिन हम तब भी सुनते रहते हैं लगातार हर रोज़ तुम्हारी थकी हुई पुरानी आवाज़
किसी गूँज में, किसी विरोध के स्वर में
यूनान के रेगिस्तान में एन्टिगनी से भेजी गई उन चिट्ठियों में
जो हम तक आज भी पहुँचती रहती हैं

'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : उदयप्रकाश'''
</poem>
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