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14:51, 27 अप्रैल 2023 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रुचि बहुगुणा उनियाल
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
तुम्हारे पास
शब्द ही शब्द... शब्दों का शिल्प
मेरे पास चुप्पियाँ
कभी-कभार जो मुझे मिले भी शब्द
तो तुम्हारे पास अनगिनत अर्थ
कई बार इन अर्थों से गढ़ता अनर्थ
मेरे पास तुम्हारे शब्द और
तुम्हारे पास अर्थ का
संयुक्ताक्षर शब्दार्थ
मेरे पास भाव
तुम्हारे पास भावार्थ
भावार्थ से विश्लेषण
विश्लेषण से अक्सर ही निकला
अप्रिय परिणाम।</poem>