Changes

{{KKCatKavita}}
<poem>
”’पहला अनुवाद”’
 
प्रिय आदमख़ोरो
मत भन्नाओ
उस आदमी पर
जो रेल के डिब्बे में
बैठने की जगह चाहता है
 
इस बात को कृपया समझो
कि दूसरे इन्सान को भी मिली हैं
दो टाँगें और चूतड़
 
प्रिय आदमख़ोरो
एक लम्हे के लिए सब्र करो
मत कुचलो कमज़ोर को
मत पीसो अपने दाँत
 
कृपया समझो
कि और भी बहुत से लोग हैं और आगे होंगे
इनके अलावा बहुत से लोग
ज़रा सरको जगह दो
 
प्रिय आदमख़ोरो
ख़रीद मत डालो
सारी मोमबत्तियाँ तमाम जूतों के तस्मे तमाम नूडल
मत कहते रहो सबसे पीठ मोड़कर –
मैं मुझे मुझको मेरा
मेरा उदर मेरे बाल
मेरे दाने मेरी पतलून
मेरी बीवी मेरे बच्चे
मेरी राय
 
प्रिय आदमख़ोरो
बेहतर हो हम एक दूसरे को न फाड़ खाएँ
क्योंकि नहीं होने जा रहा है हमारा पुनरुत्थान
 
कभी भी किसी भी तरह
 
”’दूसरा अनुवाद”’
 
प्यारे आदमखोरो !
मत खीजो
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,359
edits