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|रचनाकार=पाब्लो नेरूदा
|अनुवादक=तनुज
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<poem>
और मनुष्य होना
स्तालिन जैसा ही
स्तालिनवादी उसूल है

हम सबको स्तालिन से
ये बातें सीखनी चाहिए —
उसकी अति गम्भीर तीव्रता
और उसकी ठोस साफ़गोई

आदमी और जनता की समझदारी के
स्तालिन शीर्षबिन्दु हैं

स्तालिनवादी,
हम सब गर्व से धारण करते हैं ये पदवी !

स्तालिनवादी मज़दूरो !
बाबुओ !
और औरतो !
हम सब कभी नहीं भूलेंगे इस दिन को

रौशनी अब भी नहीं गुमी
आग अब तक नहीं बुझी

रौशनी,
रोटी,
आग
और उम्मीदें
स्तालिन के अपराजेय दौर में ।

हालिया वर्षों में :
कबूतर,
शान्ति,
आवारा सताए गए गुलाब
सब पाते हैं स्थान
उसके कन्धे पर
और वह विशालकाय स्तालिन उठाता है
उन सबको
अपने दिमाग की ऊँचाई तक...
+++

किनारों के पत्थरों के अवरुध्द, एक तरंग गश्त खाता है;
लेकिन मलिनकोफ़ तुम अपना काम ज़ारी रखना ।

'''तनुज द्वारा अँग्रेज़ी से अनूदित'''
</poem>
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