Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कमल जीत चौधरी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{K...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कमल जीत चौधरी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
तुम कहते हो
जहाँ हिन्दू बहुसँख्यक थे
मुस्लिम लूटे
मस्ज़िद - मक़बरे टूटे
सलमा नूरां के भाग फूटे

मैं कहता हूँ
जहाँ मुस्लिम बहुसँख्यक थे
हिन्दू लूटे
मंदिर शिवाले टूटे
सीता गीता के भाग फूटे

...

यह सच है
अपने अपने दड़बों में
हम ताक़त दिखा गए
पर खेत बाज़ार सड़क फैक्टरी
जहाँ हम दोनों बहुसंँख्यक थे
अल्प से मात खा गए ...
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,362
edits