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<poem>
लिफ़्टों वाले शहर से आई एक लड़की ने
पहाड़ के कानों में कहा —
मैं तुम्हारे जीवन में कोई विस्फोट करने नहीं
तुम्हे मेंहदी लगाने आई हूँ
...

यह सुन
पहाड़ ने अपनी कन्दरा के मुँह पर पड़ा
भारी पत्थर हटाकर
पैर आगे बढ़ा दिए —
पहाड़ पहली बार किसी के हाथ
कोई पहली बार पहाड़ के पाँव देख रहा था ...
</poem>
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