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{{KKRachna
|रचनाकार=वीत्येज़स्लव नेज़्वल
|अनुवादक=शारका लित्विन
|संग्रह=
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<poem>
बरसात में ब्लतवा कीचड़ भरी और मैली है
हमारी मुलाक़ातें
आदत बन चुकी हैं
और ग्लानि से भर चुकी हैं

तुम तंग पुल पर चल रही हो
तीन बार हम एक-दूसरे से कतराये

आज हम मिलेंगे शायद
लम्बे वियोग के बाद लम्बी विदाई

तुम्हारा पहला प्यार
किसी पंछी की चीख़ की तरह
और आज की बारिश जैसे हमारा प्यार

पुल डूब रहा है
हम उसको याद नहीं करेंगें
इसलिए आज हम अपनी-अपनी ओर चले जाएँगे ।

'''मूल चेक भाषा से अनुवाद : शारका लित्विन'''
</poem>
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