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किताब / जय गोस्वामी / जयश्री पुरवार
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16:31, 21 जून 2023
और उसकी बग़ल मे बैठी हो तुम ।
और
वहाँ
बैठे - बैठे ही न जाने कब
निस्तब्ध हो गईं ।
अनिल जनविजय
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