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23:27, 2 जुलाई 2023 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मीता दास
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
आती हैं खबरें हत्याओं की
आए दिन
मीडिया उछालता है
माफिया के मानिंद
और सब सोये रहते हैं
चद्दर तान
इक्के-दुक्के बहस
रैली
नाकाम
जहर बुझे तीर चलती हैं
प्रगतिवाद, वाम, दाम
धेले भर आंसू
चीत्कार
और लूटा/ पिटा
मानववाद मर जाता है।
</poem>