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आकाँक्षा / रसूल हम्ज़ातव / सुरेश सलिल
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07:45, 5 जुलाई 2023
<poem>
अगर किसी धातु में कभी बदला जाऊँ मैं
सिक्के न
डालना
ढालना
मुझसे टकसाल में
बटुए या कि थैली में न क़ैद किया जाऊँ मैं
दूर रखना लोभियों कृपणों से हर हाल में
अनिल जनविजय
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