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13:56, 11 जुलाई 2023 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
}}
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<poem>
तुझसे मिलना
तुझमें समा जाना
अनिर्वचनीय तृप्ति
पा जाना।
सपना क्या टूटा कि
असीम हाहाकार में
खो जाना
पाने और खोने का
यही क्रूर सिलसिला
हासिल है जीवन का
हे प्रिय!
-0-
13.5.2023
</poem>