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11:45, 18 जुलाई 2023 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=दीपा मिश्रा
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<poem>
जहिया सासुर
पुतोहुक परीक्षा
लेब छोड़ि देत
कोनो बेटी
विदा होएबा काल
नहि कानत
घोघ केने
दीप पर चलब
माछ काटब
हरदि चूड़ब
कोहबर नीपब
तिलकोर मोड़ब
भुजिया काटब
घैट फेंटब
भात पसायब
आगि पजारब
धान कूटब
किछु नै सिखाओल
गेल अहाँके नैहरमे?
एहेन प्रश्ने कियाक?
हँसब बाजब पहिरब
सुतब उठब सब लेल
एतेक नियम कियाक?
साँस लिए दियौ
स्वेच्छासँ ओकरा
अपन जीवन
जीबाक अधिकार
जहिया भेटऽ लागत
बेटी नै कानत
नैहर सासुरक
अंतर जहिया
मिटी जायत
बेटी नै कानत!
</poem>