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03:28, 23 जुलाई 2023 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=संतोष अलेक्स
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
मेरी पेंशन रुक गयी है
मां की तबीयत खराब है
खपरैल टूट गए हैं
इस बार भी फसल खराब हो गयी
अपना ख्याल रखना
बेटा! हो सके तो एक बार गांव आना
</poem>
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