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घोड़ा / ज़करिया मोहम्मद / अनिल जनविजय
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10:54, 5 अगस्त 2023
सभी को लग रहा था कि घोड़ा
अभी गिरा ... अभी गिरा ...
पर घोड़ा सरपट भागा जा रहा था
चौकड़ियाँ भरता
अपने परकाले से बेख़बर !
1991
'''मूल अरबी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
अनिल जनविजय
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