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हिम की मार / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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06:27, 8 अगस्त 2023
तुम हो संजीवनी
शब्द- ऋचा से।
-0-
70
उजली भोर
बिखर गई रुई
चारों ही और। (काम्बोज )
71
तू मेरा हीरा
शब्दब्रह्माणि मेरी
संजीवनी तू!!
</poem>
वीरबाला
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