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व्याकुल हैं मन-प्राण / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
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04:51, 9 अगस्त 2023
जीवन में मिलना कभी, बस इतनी फ़रियाद।
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दुनिया सारी इक जंगल हैं
अम्बर को छूने लगा
,
शूल बिछे हर द्वार।
जब तेरा अनुराग ।
उपवन तुम हो
इस
जीवन का
दुनिया को क्या कहें
,
'''खुशबू तेरा प्यार।'''
-0-
रोज़ लगाती दाग़ ॥
</poem>
वीरबाला
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