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|रचनाकार=अमीता परशुराम मीता
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<poem>
ज़िंदगी तुझसे प्यार का वादा
प्यार पे एतबार का वादा

भूल जाओ खि़जा़यें1 माज़ी2 की
अब मुसलसल3 बहार का वादा

पहले कब था यकीन वादों पर
अब है दिल को क़रार4 का वादा 

उसका वादा है लौट आने का
और मेरा इंतज़ार का वादा

दिल की ज़िद्द है के जीत लूँ उसको
अक़्ल करती है हार का वादा

इक दफ़ा प्यार कर के देखो तो
है मुकम्मल ख़ुमार का वादा

1. पतझड़ 2. अतीत 3. लगातार 4. चैन
</poem>
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