गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
सालगिरह / रीटा डाव / अनिल जनविजय
No change in size
,
08:18, 27 अगस्त 2023
<poem>
बारह बरस गुज़र चुके हैं आज तक
वो
आकुलताओं का नीला मोती
वह
मुँह में डाल लेता है ।
और इस तरह अपने सौभाग्य को भी चकमा देता है ।
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,245
edits