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अमीरी है तो फिर क्या है हर इक मौसम सुहाना है / डी. एम मिश्र
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13:45, 12 सितम्बर 2023
ग़रीबों के लिए सोचो कि उनका क्या ठिकाना है।
उसे जो मिल गया
विरासत में मिला
था बाप-
दादा
दादाओं
से
विरासत में
जो उसको
अभी तक वो बिछौना है, वही कंबल पुराना है।
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