गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
अखरोट का पेड़ / नाज़िम हिक़मत / अनिल जनविजय
No change in size
,
11:45, 21 सितम्बर 2023
सुबह से शाम तक और रात भर
रेशमी रुमाल की तरह सरसराती हैं, भरभराती हैं
अरी
अरे
प्यारे, तोड़ ले हमें और अपने आँसू पोंछ ले
ये पत्तियाँ हीं मेरे हाथ हैं, एक लाख हरे हाथ
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,345
edits