हिन्दी सहज क्रान्ति की भाषा,
यह विप्लव की अकथ कहानी ।
मैकाले पर भारतेंदु भारतेन्दु की
अमर विजय की अमिट निशानी ।
शेष गुलामी ग़ुलामी के दाग़ों को,
फिर धो लूँ हिन्दी से धो लूँ ।।
जन्मों का क्रम चलता जाए,
हिन्दी का इतना ऋण मुझ पर
साँसोंसांसों-साँसों सांसों चुकता जाए
जब जागूँ हिन्दी में जागूँ
जब सो लूँ हिन्दी में सो लूँ ।।
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