Changes

रक्त लगा हाथों पर तेरे, सुर्ख़ ख़ून वो मैं धो दूँगी,
स्याह शरम दिल के भीतर जो, उसे भी भिगो दूँगी,
हार का दर्द और नाराज़गी तेरी, जो मन में को टीस रही है,नया नाम देकर वह सब, एक कोने में एक लुको दूँगी ।
पर शान्त मन से मैंने औ’ बड़ी उदासीनता के साथ,
दोनों कान ढक लिए, रखकर उनपर अपने हाथ,
कि बात न पहुँचे, आवाज़ न पहुँचे, मुझ तक नामाकूल,
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,282
edits