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आत्मा का विस्तार (द एक्सपेंन्स आफ स्पिरिट) सॉनेट/ विलियम शेक्सपियर / विनीत मोहन औदिच्य
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विश्व को है सर्व विदित, फिर भी कोई न जान पाता!
त्याग देता मनुज स्वर्ग जो इसे
नर्क
नरक-
द्वार तक ले जाता।।
</poem>
वीरबाला
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