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नव वर्ष / जगदीश व्योम

1,241 bytes added, 05:34, 30 नवम्बर 2023
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आमों पर खूब बौर आए
 भँवरों की टोली बौराएमअडराए
बगिया की अमराई में फिर
 कोकिल पंचम स्वर में गाए।गाए  फिर उठें गंध के गुब्बारे  फिर महके अपना चन्दन वन  नव वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन!  
गौरैया बिना डरे आए
 
घर में घोंसला बना जाए
 
छत की मुँडेर पर बैठ काग
 
कह काँव-काँव फिर उड़ जाए
  मन में मिसिरी घुलती जाए  सबके आँगन हों सुखद सगुन।सगुन  नव वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन!  
बच्चों से छिने नहीं बचपन
 
वृद्धों का ऊबे कभी न मन
 
हो साथ जोश के होश सदा
 
मर्यादित बनी रहे फैशन
  जिस्मों की यूँ न नुयाइश हो  बदरंग हो जाए घर आँगन।आँगन  नव वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन!  
घाटी में फिर से फूल खिलें
 फिर स्र्के रुके शिकारे तैर चलें 
बह उठे प्रेम की मन्दाकिनि
हिम-शिखर हिमालय से पिघलें
सोनी मचले, महिबाल चले
राँझे की हीर करे नर्तन
नव वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन !
हिम-शिखर हिमालय से पिघलें।  सोनी मचलेविज्ञान, महिबाल चले  राँझे की हीर करे नर्तन  नव वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन !   विज्ञान ज्ञान के छुए शिखर 
पर चले शांति के ही पथ पर
 
हिन्दी भाषा के पंख लगा
कम्प्यूटर जी पहुँचें घर-घर
वह देश रहे खुशहाल `व्योम'
धरती पर जहाँ प्रवासी जन
नव वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन!
कम्प्यूटर जी पहुँचें घरथोड़ी-घर।सी राजनीति सुधरेथोड़ा-सा जन-गण भी सुधरेमीडिया चले सच के पथ परछँट जायँ निराशा के कुहरेशिक्षा के विस्तृत आँगन मेंकुछ और हो सके परिवर्तन वह देश रहे खुशहाल `व्योम'नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन !
धरती पर जहाँ प्रवासी जनकोरोना दुनिया से जायेपहले-सी रौनक आ जायेआतंकवाद का इस जग से नामोनिशान ही मिट जायेहर देश-देश का आपस मेंकुछ और बढ़ सके हित-चिंतननव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन !
हिंदी को जग में मान मिलेअपने घर में पहचान मिलेभारत की सब भाषाओं कोपूरा-पूरा सम्मान मिलेहर बोली के हों शब्द-कोशघोलें भाषा में मीठापननव वर्ष तुम्हारा अभिनन्दनअभिनंदन!
-डा. जगदीश व्योम
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