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10:14, 3 दिसम्बर 2023 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राम सेंगर
|अनुवादक=
|संग्रह=रेत की व्यथा-कथा / राम सेंगर
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<poem>
सुनो भाई ,
तुम कहो सो ठीक
लो, हम, कीच को कहते मलाई !
तुम्हीं खाओ,
हमें सेहतमंद और गरिष्ठ चीज़ें
हज़म करने में
बड़ी तकलीफ़ होती है ।
दाल-रोटी के पले को
स्वाद का चस्का न डालें
हैसियत भरमा न जाए
बहुत छोटी है ।
आपके सद्भाव की तकनीक
भीतर कहाँ रोपें ,
भूमि तक हमको न मन की
दे दिखाई !
सुनो भाई ,
तुम कहो सो ठीक
लो, हम, कीच को कहते मलाई ।
</poem>