गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
भले ही मुल्क के / कमलेश भट्ट 'कमल'
3 bytes added
,
10:30, 7 दिसम्बर 2023
दिलों को भी तो अपना काम करने का मिले मौक़ा
दिमागों ने जो पैदा की
है
हैं
शायद दूरियाँ कम हों।
अगर सचमुच तू दाता है कभी ऐसा भी कर ईश्वर
डा० जगदीश व्योम
929
edits