गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
स्वांग / राम सेंगर
2 bytes removed
,
10:08, 12 दिसम्बर 2023
{{KKCatNavgeet}}
<poem>
तंत्रबुद्धि का हेकड़
ज़लवा
जलवा
भावुकता के स्वांग ।
खोज रहे मरुथल में झरना
बिना तेल के जले कढ़ाही
उन्हें पड़ी गीली पगड़ी की
शोध-तमाशे में है रोटी,मची तबाही
चारण-चौकीदार महल के
छान रहे हैं भांग ।
</poem>
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits