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19 जनवरी {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रसूल हम्ज़ातव
|अनुवादक=श्रीविलास सिंह
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
ओ समय, तुम पीछा कर रहे मेरा आतंक के सिपाहियों संग
पीड़ादायक खुलासों, अनादर, बेचैनी;
आज तुम आरोपित कर रहे मुझे कल की ग़लतियों के लिए
और ध्वस्त कर दे रहे मेरे भ्रम रेत के किलों की भांँति।
कौन जानता था कि इतनी आसानी से ध्वस्त हो जाएँगे पुराने सत्य ?
फिर तुम क्यों हँसते हो मुझ पर, इतनी कठोरता क्यों ?
मैंने उन्हीं बातों में ग़लतियाँ की जहाँ ग़लत थे तुम भी,
दोहराते हुए तुम्हारे शब्द अपनी उन्मत्त अंधता में !
(1968)
'''लु ज़ेलिकॉफ के अँग्रेज़ी अनुवाद से हिन्दी में अनुवाद : श्रीविलास सिंह'''
'''लीजिए, अब यही कविता लुई ज़ेलिकॉफ़ के अँग्रेज़ी अनुवाद में पढ़िए'''
Rasul Gamzatov
1968
Translated by Peter Tempest
'''लीजिए, अब यही कविता रूसी अनुवाद में पढ़िए'''
Расул Гамзатов
1968
</poem>