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मैं गहराई से जगता हूँ / जों दैव / योजना रावत
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22 जनवरी
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मैं अपने सादृश्य की
गहराई से जगता हूँ
रहस्य के हद तक
शाम दर शाम
मैं शून्य होता गया
मैं शून्य हो रहा हूँ
स्तब्ध करती सादृश्यता
गिरती
ठण्डे कपड़ों पर
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : योजना रावत'''
</poem>
अनिल जनविजय
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