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'''आजादी की भोर है''', मन में भर उल्लास।
घुट- घुट जीना छोड़ दे, खुल कर ले अब साँस।।
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रानी, बांदी बन गई, जीना हुआ मुहाल।
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बलि दहेज पर चढ़ गयी,मिली न सुख की छाँव।
जीवन स्वाहा तब हुआ, भारी थे जब पाँव। ।
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