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आजादी की भोर है / सुरंगमा यादव
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आजादी की भोर है
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, मन में भर उल्लास।
घुट- घुट जीना छोड़ दे, खुल कर ले अब साँस।।
52
रानी, बांदी बन गई, जीना हुआ मुहाल।
61
बलि दहेज पर चढ़ गयी,मिली न सुख की छाँव।
जीवन स्वाहा तब हुआ, भारी थे जब पाँव। ।
62
वीरबाला
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