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मायके का शहर / केशव तिवारी
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18:24, 28 जनवरी 2024
तभी कोई बूढ़ा पिता का मित्र मिलता है
खाँसता हुआ
पूछता है — तुम कब आईं, भरे गले से
—
घर क्यों नही आईं ?
अनिल जनविजय
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