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सारस / रसूल हम्ज़ातव
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,
1 फ़रवरी
उन्हें सारसों की ही भाँति पुकारूँगा
छोड़ जिन्हें मैं पृथ्वी पर जाऊँगा ।
'''रूसी भाषा से अनुवाद : मदनलाल मधु'''
</poem>
अनिल जनविजय
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