गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
सारस / रसूल हम्ज़ातव
1 byte added
,
1 फ़रवरी
<poem>
कभी-कभी लगता है मुझको वे सैनिक
रक्तिम युद्ध-भूमि
सेलौट
से लौट
न जो आए,
नहीं मरे वे वहाँ, बने मानो सारस
उड़े गगन में, श्वेत पंख सब फैलाए ।
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits