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न इतनी आँच दे लौ को के कि दीपक ही पिघल जाएँ।जाए।न इतने भाव भर दिल में के झूठे कि झूटा तर्क छल जाएँ।जाए।
सुना था जब भी तू देता है छप्पर फाड़ देता है,
धन इतना दे अमीरों को के गिर सबके कि ढह सबका महल जाएँ।जाए।
तभी समझेंगे अपने लोग समझेगा मेरा यार मेरे प्रेम को शायद,जब उनको उसको प्यार से छू दूँ वो सोने में बदल जाएँ।जाए।
है आधा पेट जो जीने न मरने दे गरीबों ग़रीबों को,दे इतनी आग चूल्हे सीने में के ये दिन भी निकल जाएँ।कि इनकी भूख जल जाए।
जिसे देखूँ, रहूँ जिंदा ज़िंदा कुछ ऐसा छोड़ दे वरना,तेरे तेरा यमदूत मुर्दा मानकर मान कर मुझको न टल जाएँ।जाए।
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