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अपनी अलग चिन्हारी रख / बसंत देशमुख
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14:24, 20 नवम्बर 2008
अपनी लडाई जारी रख<br />
भूख
गरीबी
ग़रीबी
के मसले पे<br />
अब इक पत्थर भारी रख<br />
उनके नाम मदारी रख<br />
भीड़
-
भाड़ में खो मत जाना<br />
अपनी अलग चिन्हारी रख <br />
</poem>
अनिल जनविजय
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