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<poem>
भिखारी
पत्थर पर बैठे हैं
पत्थर उनका नहीं है ।

भिखारी
ज़मीन पर खड़े हैं
ज़मीन उनकी नहीं है ।

भिखारियों के हाथ
फैले हुए हैं
आकाश उनका नहीं है । ...

कहने को
भिखारियों को
कुछ नहीं खोना है

केवल ज़ंजीर
हासिल करने को
सारा संसार है ।
</poem>
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