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यहाँ / नेहा नरुका

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<poem>
यहाँ
काम करना मुश्किल
घर में रहना मुश्किल
सड़क पर निकलना मुश्किल

स्कूल में पढ़ना मुश्किल
मैदान में खेलना मुश्किल
ताक़त के ख़िलाफ़ बोलना मुश्किल

मुश्किल, मुश्किल, मुश्किल

यहाँ हर दिमाग़ में
स्त्रीद्वेष और यौनकुण्ठा भरी पड़ी है
और कब तक भरी रहेगी,
कुछ कहा नहीं जा सकता ।

यहाँ हर रोज़
एक नया बृजभूषण
पैदा होता है

और फिर वह
विश्वगुरु होने का
दम्भ भी भरता है ।
</poem>
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