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{{KKRachna
|रचनाकार=सुनील कुमार शर्मा
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<poem>
बड़े काम के लगते हो,
तुम यार गूगल
हर चीज़ की चाबी लगते हो,
भाई गूगल
कोई चीज़ ढूँढनी हो तो कहते हैं,
कर लो गूगल
शोध पत्र लिखना हो,
कॉपी पेस्ट करके इम्प्रैशन जमाना हो,
नयी विधा जाननी हो,
पतला होना हो, मोटा होना हो,
तो है गूगल
कैसी ग़ज़ब-ग़ज़ब टिप्स
देते हो भाई गूगल
आदमी अगर होते, बतलाओ
कैसे दिखते तुम भाई गूगल
बड़ा याद रखते हो,
हिस्ट्री मिटानी पड़ती है,
भाई गूगल
तन्त्र-मन्त्र, डॉक्टरी, वैद्य-हकीमी
सब बता देते हो भाई गूगल
कहते हैं कि ईश्वर नहीं,
इन्सान ढूँढ़ना मुश्किल है
सही है क्या ये बात
बताओ भाई गूगल॥
</poem>
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