3,011 bytes added,
23 मार्च {{KKGlobal}}
{{KKPustak
|चित्र=
|नाम=रास्ता बनकर रहा
|रचनाकार=राहुल शिवाय
|प्रकाशक=
|वर्ष=2024
|भाषा=
|विषय=
|शैली=
|पृष्ठ=
|ISBN=
|विविध=
}}
====प्रतिनिधि नवगीत====
====हिंदी ग़ज़लें====
* [[आँधियों के ज़ोर पर सूरज बुझाने के लिए / राहुल शिवाय]]
* [[वो तो हम सब को ही आपस में लड़ा देता है / राहुल शिवाय]]
* [[घुप अँधेरा है मगर तू रोशनी को ढूँढ ले / राहुल शिवाय]]
* [[रंग चाहे जो भी हों किरदारों की दस्तार में / राहुल शिवाय]]
* [[नये अहसास के मंज़र, जवां ख़्वाबों का गुलदस्ता / राहुल शिवाय]]
* [[अँधेरी रात का मातम है इन उजालों में / राहुल शिवाय]]
* [[मेमनों के जो बड़े नाख़ून करना चाहते हैं / राहुल शिवाय]]
* [[वो सामने थी मेरे खेलती नदी की तरह / राहुल शिवाय]]
* [[झूठ की हो न जाए फ़तह आज फिर / राहुल शिवाय]]
* [[सूरज के पाँवों में मुझे छाला नहीं मिला / राहुल शिवाय]]
* [[मैं तुम्हारी महफ़िलों में बस, हवा बनकर रहा / राहुल शिवाय]]
* [[वो अपने ज़िन्दगी भर की कमाई दे रहा है / राहुल शिवाय]]
* [[नये चेहरे यहाँ ऐसे भी निर्मित हो रहे हैं / राहुल शिवाय]]
* [[जब कभी प्रतिरोध में जंगल खड़े हो जाएँगे / राहुल शिवाय]]
* [[प्रगति की राह में अब भी अगर जंगल नहीं होगा / राहुल शिवाय]]
* [[उस दिवस अवतार के क़िस्से घटित हो जाएँगे / राहुल शिवाय]]
* [[हक़ीक़त देखकर, मन की अक़ीदत काँप जाती है / राहुल शिवाय]]
* [[लग रहा ईमान की बातों में हमको डर / राहुल शिवाय]]
* [[रहेगा कैसे भला अब उजास बस्ती में / राहुल शिवाय]]